इन सबके बाद भी बड़ी बात ये कि
"स्पिक मैके " संस्था,(जो बच्चों को शास्त्रीय संगीत सिखाती है ) इस कार्यक्रम में ये यायावर बिल्कुल पहुँच जाते है। फिर वो देश में कहीं भी हो रहा हो ।
कहा जाता है कि
इस संगीतज्ञ के उखड़ने का एक कारण उनकी पत्नी की जलने से हुई मौत भी रहा,
मुकुल जी और इनकी पत्नी कैसे आदर्श संगीतज्ञ रहे होंगे ये इसी से स्पष्ट है कि बचपन में एक आद साल का उनका बेटा उनके रियाज़ के वक़्त सही सुर पर ताली बजाता , और ग़लत ग़लत सुर पर चिढ़ने लगता .
"मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा ,न ये दश्त मेरा, न ये चमन मेरा "
नवीन जैन
लेख आहा ज़िन्दगी से साभार ,