गुलज़ार दिल्ली आने वाले हैं ! ये सुनते ही मैंने तय कर लिया था कि इस बार नहीं चूकुंगा ,अमूमन वो हर साल दिल्ली आते रहते हैं (ग़ालिब के जन्म दिन पर )पर किसी वजह से अपना मिलना ना हो पाया (सुनना ) !
बहरहाल 25 मार्च को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में पेंगुइन की ओर से आयोजित 'स्प्रिंग फ़ेस्टिवल ' के आखिरी दिन गुलज़ार साहब को आना था ओर वो आये भी ! और इस तरह आये कि कुछ एक पलों के लिए ही सही माहोल खुशनुमा बन गया !
सफ़ेद चमचमाते कुर्ते और पीली जूतियाँ(मोजडियां(?))पहने गुलज़ार सभी की आँखों में एक दम से समा गए थे !
गुलज़ार साहब के साथ मंच पर उनकी कई कविताओं का अंग्रेज़ी अनुवाद करने वाले पवन के वर्मा भी मौजूद रहे ! कार्यक्रम में गुलज़ार साहब ने अपनी लिखी और अनुवाद की हुईं कुछ एक कविताएँ भी सुनाईं और उनका अंग्रेज़ी अनुवाद पवन वर्मा ने किया !
तकरीबन एक घंटे तक चले इस कार्यक्रम का माहोल भी काफ़ी खुशनुमा और कई बर गुदगुदा देने वाला रहा ! जहाँ उन्होंने कविताओं का अनुवाद करने के दौरान आने वाली मुश्किलों की भी बात कही !
दिल्ली के अपने पुराने दिन हो या पंचम ( संगीतकार आर .डी. बर्मन ) का साथ सभी अनुभवों को गुलज़ार सुनने वालों के साथ बांटते रहे ! उनकी सबसे छू लेने वाली कविता थी 'मेघना ' जो उन्होंने अपनी बेटी के लिए लिखी थी !
( रिकॉर्डिंग,मोबाइल से की गयी है ,इसलिए ऑडियो के साथ समझौता कर ही लीजिए :P )
(*pic courtesy : Priyanka Khot,and Penguin India)
वीडियो यहाँ पर
1 comment:
गुलज़ार साहब की तो बात ही निराली है। खुश किसस्मत हैं आप जो आपको उनसे रूबरू होने का मौका मिला...
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