Thursday, 19 August 2010

गांव छोड़ब नहीं

Buzz It

कल पीपली लाइव के एक लोक धुन पर आधारित गीत की बात हुई थी.. आज एक पुराना पर शायद आज के वक्त और परिस्थितों के लिए उपयुक्त गीत... काशीपुर में बॉकसाइट  खदानों के खनन की ख़िलाफ़त करने वाले आदिवासी नेता भगवान माझी के गीत से प्रभावित होकर ये गीत रचा गया है ...जिसका सार जल, जंगल और ज़मीन को बचाए रखने से जुड़ा है...



गीत बताता है कि कैसे कुछ मुनाफ़ाख़ोर लोग, जंगल में रहने वाले आदिवासियों की जिंदगी को प्रभावित करते हैं ...


( नोट इस गीत को सिर्फ़ नक्सलवाद या माओवाद से न जोड़ें)

और अब सुनिये पूरा गीत


Wednesday, 18 August 2010

चोला माटी के राम

Buzz It

कई बार कुछ हटकर और बहती हुई बयार से भी हट कर आ मिलता है... और उसे सहेजना ही सही रहता है... मेरी भी इस छोटी सी पोस्ट के जरिये यही कोशिश है...कई लोगों को पहले पहल पीपली लाइव के इस गीत को सुनकर अटपटा लगा.. लगना लाजमी भी है...

खैर ..गीत ख़ुद में कुछ ऐसा लिए हुए है जो आपको एक बार खींचता ज़रुर है और फिर सुनने को मजबूर करता है...गीत लोक धुन पर आधारित है.. जो गीता के सार को लिए है...कि ये शरीर नशवर है...बहरहाल अब बात गीत से जुड़ी हुई ....

'चोला माटी के राम ' मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर की बेटी नगीन तनवीर ने गाया है...गीत उनकी आवाज़ में किसी लोकगायक की आवाज़ का ही एहसास कराता है..

गीत की धुन मंडला के गोंड आदिवासियों के संगीत पर आधारित है...जिसके लफ़्ज़ छत्तीसगढ़ी है...
छत्तीसगढ के लोक कवि गंगाराम सखेत ने इस गीत को लिखा है