कई बार कुछ हटकर और बहती हुई बयार से भी हट कर आ मिलता है... और उसे सहेजना ही सही रहता है... मेरी भी इस छोटी सी पोस्ट के जरिये यही कोशिश है...कई लोगों को पहले पहल पीपली लाइव के इस गीत को सुनकर अटपटा लगा.. लगना लाजमी भी है...
खैर ..गीत ख़ुद में कुछ ऐसा लिए हुए है जो आपको एक बार खींचता ज़रुर है और फिर सुनने को मजबूर करता है...गीत लोक धुन पर आधारित है.. जो गीता के सार को लिए है...कि ये शरीर नशवर है...बहरहाल अब बात गीत से जुड़ी हुई ....
'चोला माटी के राम ' मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर की बेटी नगीन तनवीर ने गाया है...गीत उनकी आवाज़ में किसी लोकगायक की आवाज़ का ही एहसास कराता है..
गीत की धुन मंडला के गोंड आदिवासियों के संगीत पर आधारित है...जिसके लफ़्ज़ छत्तीसगढ़ी है...
छत्तीसगढ के लोक कवि गंगाराम सखेत ने इस गीत को लिखा है
Wednesday, 18 August 2010
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2 comments:
बहुत अच्छा लगा यह गीत सुनकर...अभी तक तो महगाई डायन बस सुना था.
लोक धुन से रचा बसा यह गीत अत्यन्त आकर्षित करता है !
नगीन तनवीर जी की आवाज भी कमाल की है !
आभार ।
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